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जयपुर के आराध्य देव
 
पाँच हज़ार साल से अधिक पुरानी हमारी अनमोल धरोहर श्रीविग्रह रूप में, ये ठाकुर श्री गोविन्द देव जी हैँ ! सन 1525 ईस्वी की बसंत पंचमी को श्री रूप गोस्वामी ने वृन्दावन में गोमा टीला स्थान से इन्हें उर्ध्व अवस्था में पुनः प्राप्त कर विधि पूर्वक प्रतिष्ठा कर अभिषेक किया ! इससे पूर्व प्रतिदिन एक गाय यहाँ आकर अपने दूध से इस स्थान का अभिषेक करती थी ! सन 1633 में राधा रानी इनके वाम भाग में प्रतिष्ठित हुईं !  जयपुर की स्थापना से पूर्व ही यहाँ पधार कर जयपुर के आराध्य देव के रूप में ये ठाकुर हमको नित्य निरंतर सरंक्षण प्रदान कर रहें हैं !   सन 1727 में महाराजा जयसिंह द्वितीय ने इत्र सेवा के लिए सखी विशाखा का श्रीविग्रह भेंट किया जो गोविंददेवजी के बांई ओर विराजित है !  सन 1801 में महाराजा प्रताप सिंह जी ने सखी ललिता का श्रीविग्रह गोविंददेवजी की ताम्बूल सेवा के लिए भेंट किया जो राधागोविंददेवजी के दाहिनी ओर विराजित हैं ! हजारों की संख्या में भक्त प्रतिदिन यहाँ आते हैं और अपनी अभिलाषा पूर्ति करते हैं ! त्योहारों पर तो यह संख्या लाखों में पहुँच जाती है !
Manifestation of 'GOVIND' relates to some 5,000 years back Here to read more.....

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